जामिया मिलिया इस्लामिया: हिंदू छात्राओं को धमकियां और भेदभाव के आरोप


देश की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं में से एक, जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) विश्वविद्यालय, इन दिनों एक गंभीर विवाद में फंसा हुआ है। कुछ हिंदू छात्राओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें वहां न केवल धर्मांतरण के लिए धमकाया जा रहा है, बल्कि उनके साथ जातीय और धार्मिक भेदभाव भी हो रहा है।



क्या है मामला?

छात्राओं के अनुसार, उन्हें कहा गया कि अगर वे इस्लाम में धर्मांतरण नहीं करेंगी, तो उनके साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो सकती हैं और परीक्षा में भी असफल किया जा सकता है। यह आरोप न केवल छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश की शिक्षण संस्थाओं में किस प्रकार की असहिष्णुता बढ़ रही है।


छात्राओं के आरोप :

छात्राओं का कहना है कि वे मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रही हैं। कुछ ने आरोप लगाया है कि उनके कपड़ों और रहन-सहन पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती हैं। धर्म विशेष के प्रति निष्ठा न दिखाने पर उन्हें शैक्षणिक और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।


विश्वविद्यालय प्रशासन का क्या कहना है?

विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे एक साजिश बताया है। प्रशासन का कहना है कि जामिया मिलिया एक धर्मनिरपेक्ष शिक्षण संस्थान है, और वहां सभी धर्मों के छात्रों को समान अवसर और सम्मान दिया जाता है।


सामाजिक प्रतिक्रिया :

इस मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।


हिंदू संगठनों ने इसे धर्मांतरण का षड्यंत्र बताया है और सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।


मुस्लिम संगठनों ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश करार दिया है।


सरकार और कानून की भूमिका :

इस पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वत: संज्ञान लिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से भी इस विवाद पर रिपोर्ट मांगी गई है।



हमारे समाज के लिए सवाल :


इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हमारे शिक्षण संस्थान वास्तव में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का पालन कर रहे हैं? क्या छात्रों को उनकी धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव सहन करना पड़ेगा?


देश के सभी शिक्षण संस्थानों में समानता, सुरक्षा और सम्मान का माहौल सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।


यह घटनाक्रम न केवल जामिया मिलिया की साख पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि हमारे देश की सामाजिक संरचना और सौहार्द के लिए भी चुनौतीपूर्ण है।









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