भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को अपनी प्रमुख नीतिगत रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6% कर दिया। यह 2025 की दूसरी लगातार कटौती है। वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसकी घोषणा की। घटती मुद्रास्फीति और वैश्विक व्यापार चुनौतियों के बीच आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए RBI ने उदार रुख अपनाया है।
गवर्नर मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से 25 बेसिस पॉइंट की कटौती को मंजूरी दी, जिससे रेपो रेट 6.25% से 6% हो गई। यह फरवरी 2025 की कटौती के बाद दूसरा कदम है। फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति 21 महीने के निचले स्तर 3.6% पर पहुंच गई थी। MPC ने FY26 के लिए GDP वृद्धि अनुमान को 6.7% से घटाकर 6.5% और CPI मुद्रास्फीति अनुमान को 4.2% से 4% कर दिया।
मल्होत्रा ने कहा, “अमेरिका से शुरू हुई पारस्परिक टैरिफ की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता में है। हमारा ध्यान गैर-मुद्रास्फीति वृद्धि पर है।” उन्होंने घरेलू खपत और निवेश को समर्थन देने की जरूरत पर जोर दिया।
रेपो रेट में कटौती से उधार लेने की लागत कम होगी। होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI में कमी की उम्मीद है, क्योंकि बैंक इस लाभ को ग्राहकों तक पहुंचाएंगे। प्रॉपइक्विटी के सीईओ समीर जसुजा ने कहा, “यह उधारकर्ताओं के लिए राहत की सांस है।” कोविड के बाद से आवास की कीमतें 50% बढ़ चुकी हैं। हालांकि, फिक्स्ड डिपॉजिट पर रिटर्न कम हो सकता है।
खाद्य मुद्रास्फीति फरवरी 2025 में 3.8% तक गिर गई, जो सब्जियों की कीमतों में मौसमी सुधार से हुआ। RBI का रुख महामारी के बाद पहली बार तटस्थ से उदार हुआ, जिससे भविष्य में और कटौती की गुंजाइश दिखती है। विश्लेषकों का मानना है कि यह रियल एस्टेट और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा दे सकता है, हालांकि अमेरिकी टैरिफ से GDP पर 20-40 बेसिस पॉइंट का असर पड़ सकता है।
घोषणा से पहले सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में खुले थे। फैसले के बाद वित्तीय शेयरों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी गई। सोने पर आधारित ऋणों पर RBI के नए नियमों के कारण मुथूट फाइनेंस जैसे NBFC के शेयर 10% तक गिरे। मल्होत्रा ने कहा, “कटौती उम्मीदों के अनुरूप है, लेकिन टैरिफ का प्रभाव दिखेगा।” उन्होंने FY26 के लिए चालू खाता घाटे को नियंत्रण में बताया।
रेपो रेट अब 2023 की शुरुआत के बाद सबसे निचले स्तर पर है। क्या RBI कटौती का सिलसिला जारी रखेगा, या वैश्विक अनिश्चितताएं इसे रोक देंगी? अभी के लिए, विकास पर ध्यान उधारकर्ताओं को राहत दे रहा है और भारत की लचीलापन को रेखांकित कर रहा है।

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